कौंल पद्म सी,कुंद कुसुम सी
श्वेत शुभ्र शोभित सुकुमारी।
मन-मोहक मुस्कान तुम्हारी।
मधुमय किसलय फूट पडेंगे
अलि मधुरस पर टूट पडेंगे।
तुम्हें देख हे!बाग दुलारी।
मन-मोहक मुस्कान तुम्हारी॥
तुम अन्तस का रूप-रंग हो
तुम जीवन की ऋतम्भरा।
तुम हिय-हर स्वयंप्रभा हो प्यारी।
मन-मोहक मुस्कान तुम्हारी॥