अलि-अवली मधुरस पी जायेगी सारा

अलि-अवली मधुरस पी जायेगी सारा,
मधु-मुकुल! तुम्हें छिपकर रहना होगा।
हे! कुसुम कली,तुम जिस मधुकर के लिये बनी,
इन्तज़ार में उस मधुकर के रहना होगा।
पुलक तुम्हारी दशों दिशाओं महक रही है,
तुम्हें देख,जग उरा-कामिनी बहक रही है।
निज उर का उद् गार तुम्हें भी कहना होगा,
इन्तज़ार में उस मधुकर के रहना होगा।
भरी माधुरी भ्रमर अनेकों आते होंगे,
प्रियतम की यादों के शूल सताते होंगे।
हाय..सखी री! समय विरह का सहना होगा,
इन्तज़ार में उस मधुकर के रहना होगा।

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