बब्लीधार की जूली

मिलम (ग्लेशियर) यात्रा के बेहद खूबसूरत पड़ाव ‘बब्लीधार’ में हमारा मिलन हुआ…तुम अपनी दो सहेलियों संग पथरीले खडंजे में बड़ी नजाक़त के साथ बैठी थी..और मैं सामने इक झोपड़े के अांगन में लगी बेंच में यार-दोस्तों संग बैठकर पहाड़ी चाय पी रहा था..

चाय की चुस्की लेकर नज़र उठी तो तुम्हारी जुल्फों के अनोखेपन ने मेरा ध्यान आकर्षित किया,और मुझे भी.. मैं तुम्हारे करीब आकर बैठ गया,तुम्हारी खूबसूरती को निहारा,तुम्हारी जुल्फों को सहलाया..इतने में परमप्यारे दोस्त ‘उस्ताद कमल तबलची’ ने हमें इस खूबसूरत तस्वीर में हमेशा के लिए कैद कर लिया..जुल्फों के इसी अनोखेपन के कारण सब यार दोस्तों ने मिलकर तुम्हारा नाम रखा ‘जूली’..

उत्तराखण्ड की अतिशय सुन्दरता की द्योतक इन हसीन वादियों में जो कुछ भी मिला इंसान,जानवर, झील,झरने,नदी,पहाड़,हरे-भरे बुग्याल,रंग-बिरंगे तमाम तरह के फूल और चमकीले पारदर्शी पत्थर,नन्दादेवी,रालम,बुर्फू, मिलम आदि ग्लेशियर,हरियाली और बर्फ से लबरेज वहाँ की दुनियाँ..सब जीवन भर के लिए यादगार हो गया..

ऐसे भी कई वाक़िये हुए जिन्हें याद करके हृदय हमेशा स्पन्दित होता रहेगा..इन सब खूबसूरत यादों में से तुम भी एक खुशनुमा याद हो मेरी “बब्लीधार की जूली”….

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