हे पथिक तू चलता जा

हे पथिक तू चलता जा, ये राह तुझे ले जाये जहाँ,
न मदिरालय की खोज में, न मनमौजो की मौज में,
बस तू चलता जा,

देख डगर ये हुई पुरानी,
आज है यारी कल बन जाएगी ये एक कहानी,
तू अपनी बातें लिखता जा,
हे पथिक तू चलता जा,

कई कागज़ यु कोरे है, धुल में लिपटे वो सोते है,
वो राँबिरंगी डायरी खो रही जवानी,
तू उसे अपनी कलम से यूँ छूता जा,
हे पथिक तू चलता जा,

नेत्रनीर जो बहते है उसकी माला पिरोता जा,
अश्को को तू न रोक अभी, झरने सा बह जाने दे,
तू अपनी कहानी खुदी को बता,
तू अपनी बातें लिखता जा,

ये लव्ज़ ने अब दब जाने दे,
तू खुद ही, खुद से कहता जा,
हे पथिक तू चलता जा,

न रुक कहीं, न मुड़ कहीं,
अपनी धुन में चलता जा,
हे पथिक तू चलता जा I

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