आजकल श़हजाद का रुख़ किस तरफ है।
भीगना है,प्यार की बरसात का रुख़ किस तरफ है।
मैं ढूँढ़ता सारे जहाँ में खुशबुऐं जिस फूल की,
कोई बतायेगा? ‘चमन के नाज़’ का रुख़ किस तरफ है।
ना शिक़ायत,ना गिला,नाराज़गी है।
प्यार की सरगम सुनाती जिन्दगी है।
चल पड़ेगा बाँवरा मन उस तरफ,
महबूब के दीदार का सुख जिस तरफ है।
आजकल श़हजाद का रुख़ किस तरफ है।
आजकल श़हजाद का रुख़ किस तरफ है
