ये शादाब चेहरा ये शफ्फाक आँखे

ये शादाब चेहरा ये शफ्फाक आँखे।
ये जुल्फें घनेरी ये मुस्कान तेरी।
कहीं दिल में हलचल सी तो हो रही है।
कहीं भावनायें बही जा रही है।
कहीं तो कुमुद सी कली खिल रही है।
कहीं बूंद बारिश धरा मिल रही है।
तुम्हें देख धडकन धड़कते-धड़कते।
कहीं जिस्म की तोड दे ना सलाखें ।
ये शादाब चेहरा,ये शफ्फाक आँखे…..॥

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